plants help us in purify our home

Sunday, 27 June 2021

What is the planet associated with the Mahadasha?












This is the best way to approach any year.

 When we have to predict Dasha and Mahadasha, then we should find out the events happening in this way.

 First of all, to see the Mahadasha Lord , what is the planet associated with the Mahadasha is telling the event.

  After this check is done, then it is necessary to check whether the planet coming in the antardasha is also showing that event or not.

Now stop here and use Dasha Pravesh method that means Dasha Pravesh method says that if any of your Antardasha is saying yes to any event then after that it is to be seen that the day that Antardasha started , in any zodiac from them Transit which is going on, if the owner of that zodiac is also saying yes to that event, then 100% of that event will happen if the dasha, antardasha and transit three together are saying yes.

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यह किसी भी साल तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका है|

 जब हमको दशा और महादशा का फलादेश करना होता है तो हमें इस तरीके से होने वाली घटनाओं का  पता लगाना चाहिए|

 सबसे पहले देखना है महादशा लॉर्ड या स्वामी,  महादशा से जुड़ा हुआ ग्रह क्या होने वाली घटना को बता रहा है    |

 सबसे पहले यह जांच होने के बाद फिर, हमें अंतर्दशा में आने वाला ग्रह भी उस घटना को दिखा रहा है या नहीं यह भी जांच करना जरूरी है |

अब यहां रुक जाएं और दशा प्रवेश पद्धति का इस्तेमाल कीजिए इसका मतलब है कि दशा प्रवेश पद्धति कहती है कि अगर आपकी कोई अंतर्दशा किसी भी घटना को हां बोल रही है तो उसके बाद यह देखना है जिस दिन वह अंतर्दशा शुरू हुई उनसे किसी राशि में 8 ट्रांजिट जो चल रहा है अगर उस राशि का स्वामी भी उस घटना को हां बोल रहा है तो जो घटना दशा अंतर्दशा और ट्रांजिट तीनों मिलकर हां बोल रहे हैं तो 100% वह घटना घटेगी |




Saturday, 12 June 2021

वैदिक ज्योतिष के अनुसार आर्द्रा नक्षत्र




नक्षत्रराज चंद्रमा के मार्ग में पड़ने वाले विशेष तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इनकी संख्या 27 है। आकाशमंडल में आर्द्रा छठा नक्षत्र है। यह मुख्यत: राहु ग्रह का नक्षत्र है, जो मिथुन राशि में आता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार भगवान शिव शंकर के रुद्र रूप ही आर्द्रा नक्षत्र के अधिपति हैं, जो प्रजापालक हैं, परन्तु जब उग्र होते हैं तो कुछ न कुछ विनाशकारी अथवा प्रलयंकारी घटनाएं अवश्य होती हैं। आर्द्रा नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं। इसके चारों चरणों पर मिथुन का स्पष्ट प्रभाव रहता है। सूर्य जब आर्द्रा नक्षत्र पर होता है, तब पृथ्वी रजस्वला होती है और इसी पुनीत काल में कामाख्या तीर्थ में अंबुवाची पर्व का आयोजन किया जाता है। यह नक्षत्र उत्तर दिशा का स्वामी है।

आर्द्रा के प्रथम चरण व चौथे चरण का स्वामी गुरु, तो द्वितीय व तृतीय चरण का स्वामी शनि है। भारत में आमतौर पर जून माह के तृतीय सप्ताह में आर्द्रा नक्षत्र का उदय होता है। सामान्य तौर पर 21 जून को सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं। आर्द्रा को कृषक कार्य करने वाले लोगों का सहयोगी माना जाता है। 



 आर्द्रा का सामान्य अर्थ नमी होता है, जो धरती पर जीवन के लिए जरूरी है। यह आकाश में मणि के समान दिखाई देता है। वामन पुराण के अनुसार, नक्षत्र पुरुष भगवान विष्णु के केशों में आर्द्रा नक्षत्र का निवास है। महाभारत के शांतिपर्व के अनुसार, जगत् को तपाने वाले सूर्य और अग्नि व चंद्रमा की जो किरणें प्रकाशित होती हैं, सब जगतनियंता के ‘केश’ हैं। यही कारण है कि आर्द्रा नक्षत्र को जीवनदायी कहा जाता है। इसी नक्षत्र के पुण्य योग में सम्पूर्ण उत्तर भारत के राज्यों में खीर और आम खाने की परम्परा है। कृषिकार्य की शुरुआत इसी नक्षत्र में होने के कारण यह नक्षत्र सर्वाधिक लोकप्रिय नक्षत्र है।

आर्द्रा नक्षत्र क्या है?

 




आर्द्रा (6.40-20.00 मिथुन) राहु की ऊर्जा का बीज है और ओरियन नक्षत्र में एक ही चमकीला तारा है। इसका दृश्य परिमाण 0.57 है और यह एक लाल विशालकाय के रूप में दिखाई देता है, जो रात के आकाश में सबसे चमकीले सितारों में से एक है।
आर्द्रा पर भगवान शिव के उग्र अवतार रुद्र का शासन है, जो गड़गड़ाहट का प्रतीक है। इस नक्षत्र का अनुवाद 'हरा', 'नम' ज्ञान या भ्रम पैदा करता है। वे'से संबंध बनाने का प्रयास करते हैंमाया' बौद्धिक स्तर पर। यह बुद्धि के जन्म की विशेषता है जो पिछले नक्षत्र, मृगशिरा के भटकने के अनुरूप है। आर्द्रा समारोह के पीछे के कारण का विश्लेषण करना पसंद करती या 'ताजा' के रूप में किया जाता है। नमी वह पहलू है जो पृथ्वी को जीवन प्रदान करता

है, कहा जाता है कि आर्द्रा एक बच्चे के व्यवहार के लिए खड़ी होती है, और इसलिए आर्द्रा जातक कुछ ही मिनटों में सुख और दुःख, या बीच की अवस्था का अनुभव करते हैं। यह नक्षत्र जातक को परिवर्तन के दौर से गुजरता है, इसके मद्देनजर हैं।

हुआ अन्वेषणहै।यहां के ग्रहों का स्वभाव शांत होता है, हालांकि वे भौतिक अधिकता के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। यह तूफान का शुरुआती बिंदु है और हालात बहुत खराब नहीं हैं।

दूसरी पद मकर नवांश पर पड़ती है जिस पर शनि का शासन होता है। यह हर तरह की भौतिक खोज और कुंठाओं के लिए खड़ा है। नक्षत्र के नकारात्मक गुण आमतौर पर इस पदके माध्यम से प्रकट होते हैं। यहां तूफान बढ़ गया है और इसलिए ग्रह दुर्भाग्य और परेशानी लेकर आते हैं।

तीसरा पद कुंभ नवांश पर पड़ता है जिस पर शनि का शासन है। यह वैज्ञानिक, विद्युत औरके लिए खड़ा परिणाम उन्मुख प्रकृतिहै। तूफान अपने उच्चतम बिजली चरण जैसा दिखता है और इसलिए ग्रहप्रदान करते हैं अत्यधिक मानसिक गतिविधि के साथ प्रेरणा के छोटे और अचानक उत्साह।

चौथा पद मीन नवांश पर पड़ता है जिस पर बृहस्पति का शासन है। यह संवेदनशीलता और करुणा के लिए खड़ा है।मदद करने की तीव्र इच्छा होती है कम भाग्यशाली आत्माओं की। यहां तूफान अपने अंजाम पर पहुंच गया है और पिछली तिमाहियों की तुलना में प्रभाव हल्के हैं। यहां के ग्रह आमतौर पर सकारात्मक परिणाम देते हैं।first पद धनु Navamsa में गिर जाता है और बृहस्पति द्वारा शासित है। यह जिज्ञासा और की भावना के साथ जुड़ा है

Ardra (6.40-20.00 Gemini) is the seed of Rahu's energy and contains a single bright star in the Orion constellation. It has a visual magnitude of 0.57 and appears as a red giant, one of the brightest stars in the night sky

.Ardra is ruled by Rudra, the fierce incarnation of Lord Shiva, who emblematizes thunder. This nakshatra is translated as ‘green’, ‘moist’ or ‘fresh’. Moisture is the aspect that endows the earth with life

Ardra is said to stand for the behavior of a child, and hence the Ardra natives experience extremes of happiness and sorrow, or the in-between stage in a matter of minutes. This nakshatra makes the natives undergo transformation, producing knowledge or confusion in its wake. They try to relate to ‘maya’ on an intellectual level. It is characterized by the birth of the intellect which harmonizes the wanderings of the previous nakshatra, Mrigashira. Ardra rather likes to analyze the cause behind the function.

First pada falls in the Sagittarius Navamsa and is governed by Jupiter. It is associated with curiosity and the spirit of exploration. Planets here have a relaxed disposition, although they are susceptible to material excesses. It is the starting point of the storm and conditions are not too bad.

The second quarter falls on the Capricorn Navamsa which is ruled by Saturn. It stands for every kind of material pursuit and frustrations. The negative attributes of the nakshatra are usually manifested through this quarter. The storm has increased here and hence planets bring misfortune and trouble.

The third pada falls on the Aquarius Navamsa which is ruled by Saturn. It stands for scientific, electrical and result oriented nature. The storm resembles its highest lightning stage and hence planets provide short and sudden raptures of inspiration with immense mental activity.

The fourth pada falls on the Pisces Navamsa which is ruled by Jupiter. It stands for sensitivity and compassion. There is a strong desire to help the less fortunate souls. The storm has reached conclusion here and the effects are mild as compared to the previous quarters. Planets here usually generate positive results.


Friday, 4 June 2021

How to check marriage promise?













गोचर


 प्रश्न कुंडली देखते समय उन significator पर विचार नहीं करना चाहिए,

जो वक्री ग्रह के नक्षत्र में स्थित है,दशा और अंतर्दशा से संबंधित घटना के

घटने में सहायक नहीं होंगे। इस प्रकार सर्वाधिक बलवान सिग्नीफिकेटर ,

महादशा स्वामी बनता है। उससे  कमजोर या बराबरी का  अंतर्दशा स्वामी बनता है । 

                गोचर :-

किसी भी घटना क घटित होने में केवल अन्तर्दशा ही नहीं Tansit भी महत्वपूर्ण है।

घटना के समय महादशा के  सभी DBA  ग्रह  यदि घटना से जुड़े भावो से सम्बन्ध

बनते है चाहे  डायरेक्ट या indirect  तो ही घटना घटती है।

लकिन अगर गोचर में दशा और अन्तर्दशा ग्रह घटना के सैंफिकेटर्स

से राशि और ग्रह नक्षत्र आदि से न जुड़े तो घटना नहीं घटेगी। 

Example   :-

विवाह का उदहारण लेते है :-

शादी के  लिए -गुरु ,बुध्द , शनि,राहु, जातक की कुंडली में शादी के 

significators है तो इन्ही की DBA में ही शादी होगी। 

अब कब होगी उसके लिए हमको गोचर देख्ना होगा। 

१) घटना एक महीने में होगी तो चन्दर का गोचर को देखो। 

२) एक वर्ष के  अंदर अंदर तो सूर्य के  गोचर से देखो। 

३) एक वर्ष से अधिक संभव हो तो फिर गुरु गोचर से

घटना का फलादेश करना होता है। 

४) साथ ही घटना के  कुछ करक भी होते है ,

उनका भी ध्यान देखना  बहुत ज़रूरी होता है

जैसे :- आयु का करक शनि है , तो फिर शनि के गोचर

और बाधकेश  और मारकेश को  देख कर आयु का  देखो।